दुख, दर्द और इंतजार से भरी कहानी की हैप्पी एंडिंग, आप भी नहीं रोक पाएंगे आंसू, पढ़िए पूरी कहानी
- एक चिमटे ने उजाड़ दी जिंदगी, दिया कभी न भुलाने वाला दर्द
- 13 साल बाद लौटे बच्चों की आरती उतार कर किया स्वागत
- बाल गृहों में भी बिछुड़े, अब कर रहे बैंगलोर और गुड़गांव में जॉब
भगवान श्रीराम को अपने माता पिता तथा अयोध्या का पता मालूम था। 14 वर्ष वनवास काटकर अयोध्या नगरी पहुंचे थे। जहां वह अपने परिजनों से मिले लेकिन दो भाई बहन जिनको न तो अपने माता पिता का नाम मालूम था और न ही जिले का नाम मालूम था। बालपन में मां की डांट के चलते घर छोड़ दिया। बचपन अनाथालयों में बीता। परिवार से मिलने की तड़प थी लेकिन जानकारी के अभाव में वेवश थे। युवा होने पर समझ विकसित हुई तो परिवार से मिलने की जद्दोजहद शुरू हुई। आगरा के सामाजिक कार्यकर्ता नरेश पारस उनके लिए देवदूत बनकर आए। उन्होंने कड़ी से कड़ी मिलाकर असंभव काम को संभव कर दिखाया और 13 साल पहले बिछुड़े बच्चों को उनके परिवार से मिला दिया। बच्चों से मिलकर मां बोली दीदी के साथ कैसे मुझे छोड़ कर चला गया बेटा, मेरे जिगर के टुकड़े तू आ गया। मां ने अपने बेटे और बेटी को गले लगाया तो उनकी आंखों से आंसुओं का समुद्र बहने लगा। मां फफक फफक कर रोने लगी। मानो उनके लिए बच्चों का दूसरा जन्म हुआ है। बच्चों के आते ही मां ने बेटा और बेटी को मिठाई खिलाकर उनका स्वागत किया। उनकी आरती उतारी। उसके बाद आसपास के लोगों को भी मीठा खिलाया। महिला काफी खुश है। साथ ही वह समाजसेवी नरेश पारस को अपना भगवान बता रही है। उनका धन्यवाद अदा करते नहीं थक रही है। कह रही है कि नरेश पारस ने होते तो उनके बेटा-बेटी नहीं मिलते। मां और बच्चों का मिलन देखकर हर किसी की आंखें नम हो गईं। यह कोई फिल्मी कहानी की स्क्रिप्ट नहीं है बल्कि सच्ची कहानी है। जिसमें सभी किरदार वास्तविक हैं। इस कहानी में विछोह, तड़प, दुख-दर्द और वेदना सभी को भावुक कर देती है। सिस्टम पर भी तमाम सवाल खड़े करती है। पढ़िए पूरी सच्ची कहानी...
ऐसे चला सर्च ऑपरेशन
बच्चों से मिली जानकारी और मेरठ बाल गृह से मिले पत्र ने मामले को उलझा दिया। पत्र और बच्चों के आधार कार्ड में पिता का नाम और पता कहीं भी मेल नहीं खा रहा था। फिर भी नरेश पारस ने हार नहीं मानी और इस गुत्थी को सुलझाने की कोशिश की। नरेश पारस ने पते को विलासपुर मानकर छत्तीसगढ़ पुलिस तथा सामाजिक संस्थाओं से संपर्क किया। राखी और बबलू के बारे में जानकारी मांगी लेकिन कोई सुराग नहीं लगा। वहां इस नाम के बच्चे लापता नहीं मिले। उनका कोई रिकॉर्ड नहीं मिला। बबलू ने बताया कि जिस स्टेशन से वह ट्रेन में बैठकर गए थे उस स्टेशन के बाहर एक इंजन का डिब्बा था। नरेश पारस ने पहचान की आगरा कैंट के पास में बाहर इंजन के डिब्बे की डमी रखी है। ऐसे में आगरा होने की संभावना प्रबल हुई फिर नरेश पारस ने आगरा गुमशुदा प्रकोष्ठ के अजय कुमार से संपर्क किया. आगरा में राखी तथा बबलू नामक लापता हुए बच्चों की जानकारी मांगी। अजय कुमार ने सभी थानों से जानकारी ली तो पता चला कि थाना जगदीशपुरा में इन बच्चों की गुमशुदा की दर्ज है। थाना जगदीशपुरा के किशोरपुरा में यह दोनों बच्चे लापता हुए थे। पुलिस जब उनके घर पहुंची तो बताया गया कि गुमशुदगी दर्ज कराने वाली महिला किराए पर रहती थी। वह निर्माण मजदूर थी। काफी समय पहले वह मकान खाली करके जा चुकी है। राखी ने मां की गर्दन पर जले का निशान बताया। इसके बाद में कड़ी से कड़ी जोड़ने की कोशिश की गई। इसके बाद नरेश पारस शहर के लोहामंडी, शास्त्रीपुरम, शंकरगढ़ की पुलिया, राम नगर ट्रांसयमुना कॉलोनी, राजपुर चुंगी सहित शहर के तमाम मजदूर चौकों पर गए जहां महिला की जानकारी नहीं मिली। मजदूरों से भी उसे खोजने को कहा। मजदूरों के माध्यम से महिला तक उसकी जानकारी पहुंच गइ। गर्दन पर जले के निशान से नीतू की पहचान हुई। उसके पास बच्चों की तस्वीर और तहरीर थी। जिसके आधार पर उसकी तस्दीक हुई।
वीडियो कॉल पर की बात
नरेश पारस और गुमशुदा का प्रकोष्ठ के अजय कुमार महिला के पास पहुंचे। महिला ने अपने माता-पिता और दादी को भी बुला लिया था। सभी परिजन लापता बच्चों को देखना चाहते थे। नरेश पारस ने अपने मोबाइल से दोनों बच्चों को व्हाट्सएप पर वीडियो कॉल के माध्यम से कनेक्ट किया। बच्चों को देखते ही मां और नानी रोने लगे. मां पूछने लगी बेटा तू कहां चला गया था। बिटिया तू अपने साथ भाई को ले गई थी तुम्हारी याद में दिन-रात तड़पती रहती हूं। हर वक्त इंतज़ार था कि कोई मसीहा बनकर आए और तुम्हारा बारे में जानकारी दे। तुम्हारी याद में समय से पहले बूढ़ा कर दिया है। हर समय अपने साथ तुम्हारे फोटो लेकर घूमती हूं। साथ में थाने में दी गई तहरीर को भी अपने पास रखती हूं। थाने वालों ने कहा था कि बच्चा मिलने पर सूचित कर दिया जाएगा। इसी वजह से मैं हमेशा जगदीशपुरा के आसपास ही किराए का कमरा लेकर रहती हूं। मां को रोता देखकर बच्चे भी बोले मॉ आप रोइए नहीं। हमें अच्छा नहीं लगता है। मां ने कहा बेटा इन आंसुओं को निकल जाने दो. यह खुशी के आंसू हैं। 13 सालों से मुझे तुम्हारा इंतजार था। आज यह खुशी की घड़ी आई है। बेटे ने कहा मैं आज ही बेंगलुरु से ट्रेन द्वारा आगरा आ रहा हूं। उधर बेटी ने भी कहा कि वह गुड़गांव से आ रही है। नानी बोली बिटिया रानी फिर हमें छोड़कर मत जाना। तुम्हारे बिना हम जी नहीं पाएंगे। मां तथा बच्चों के वर्चुअल मिलन को देखकर हर किसी की आंखें नम हो रही थी। सभी कह रहे थे कि आज भी ईश्वर है जिसने 13 साल बाद बिछड़ने का मिलान कराया है। दोनों भाई-बहन मां से मिलने आगरा रवाना हो गए।
सर्द रात का घना कोहरा भी नहीं रोक सका बिछुड़ों का मिलन
राखी का बचपन अनाथालयों में बीता था। वह मॉल में जॉब जरूर कर रही थी लेकिन बाहर की दुनिया सेे अनजान थी। वह गुरूगांव से आगरा के लिए बस से चल दी लेकिन उसे आगरा की जानकारी नहीं थी। वह कैसेे मां तक पहुंचेगी। नरेश पारस लगातार राखी के संपर्क में रहे। वह रात आठ बजे आगरा पहुंच। उस दिन बहुत घना कोहरा था। नरेश पारस राखी को लेने बस स्टैंड पहुंचे। राखी को साथ लेकर वह शाहगंज नगला खुशहाली पहुंचे। बेटी को देखकर नीतू दहाड़ मारकर रोने लगी। बेटी को सीने से लगा लिया। मौजूद नानी शकुन्तला और नाना जग्गों भी रोनेे लगेे। उन्होंने कहा कि हम बच्चों के मिलने की उम्मीद खोे चुके थे। रात में ही राखी को देखने के लिए भीड़ जुट गई। मां ने राखी की आरती उतारकर स्वागत किया और घर में प्रवेश कराया। मिठाई खिलाकर मुंह मीठा कराया।
ऐसे हुई हैप्पी एंडिंग
बबलू दो दिन बाद आगरा पहुंचा। नरेश पारस बबलू को भी लेने आगरा कैंट रेलवे स्टेशन पहुंचे। आगरा आकर बबलू बहुत खुश था। उसनेे स्टेशन पर आते ही इंजन की डमी को देखा। बताया इसी स्टेशन से ट्रेन में बैठकर मेरठ पहुंचे थे। उसे इसके अलावा कुछ भी याद नहीं था। नरेश पारस बबलू कोे लेकर पथौली के नगला बसुआ नीतू केे घर पहुंचे। नीतू को पहले से ही जानकारी दे दी थी इसलिए वह पूजा की थाली लेकर अपने बेटे का इंतजार कर रही थी। जब नरेश पारस बच्चों को दोनों बच्चों को लेकर उनकी मां के पास पहुंचे तो मां पूजा की थाली सजा कर उनका इंतजार कर रही थी। जैसे ही नरेश पारस बबलू को लेकर घर आए मां बबलू से लिपटकर रोने लगी। बच्चों को देखकर गले लगा लिया और रोने लगी। मां को देखकर दोनों बच्चे भी रोने लगे किसी तरह अपने आप को संभालते हुए नीतू ने दोनों बच्चों की आरती उतारी। उनको तिलक लगाया मिठाई खिलाई। और कहने लगी कि तुम्हारे बिना बेऔलाद की जिंदगी जी रही थी। अब मुझे जीने की नई राह मिल गई है। राखी भी बबलू से गले मिली। नीतू ने दोेेनों का रोली से तिलक किया। आरती उतारी और लड्डू खिलाए। नानी शकुन्तला ने भी खुशी में पूरे मोहल्ले मेें लड्डू बांटे। बहुत खुशी का माहौल था। पूरा परिवार 13 साल बाद मिलकर बहुत खुश था। मां तथा दोनों बच्चों ने कहा कि नरेश पारस का साथ न मिलता तो हम सब का आपस में मिलना असंभव था। सभी नरेश पारस का आभार व्यक्त कर रहे थे। राखी गुड़गांव में एक मॉल में बिलिंग काउंटर पर काम करती है। वह दो दिन की छुट्टी लेकर आगरा आई थी। वह वापस गुड़गांव लौट गई है। जल्दी वह मां से मिलने के लिए दोबारा आएगी। वहीं बबलू का कहना है कि वह अब मां के साथ ही रहेगा। राखी भी जल्दी गुड़गांव से आकर अपने परिवार के साथ ही रहेगी। अब उसे मां के साथ-साथ नाना नानी और सहित पूरा परिवार मिल चुका है। बबलू ने कहा की मैं बहुत खुश हूं। अपनी मां, नानी और नाना को अपने पैसों से रेस्टोरेंट में खाना खिलाने ले जाऊंगा।
संदूक से निकलीं पुरानी यादें
मां अपनेे बच्चों से रात भर बातें करती रही। वह बच्चों से जुड़ी यादों को उनके साथ साझा कर रही थी। नीतू ने संदूक खोलकर बच्चों के पुराने कपड़े निकालकर उनको दिखाए। बच्चों के गंदे कपड़े भी उसने संभालकर रखे थे। नीतू ने कहा कि इन्ही पुराने कपड़ों को सीने से लगाकर सोती थी। मुझे यकीन था कि एक दिन मेरे बच्चे जरूर लौटकर आएंगे। तुम्हारे मनपसंद पुराने कपड़े मुझे हर रोज रूलाते थे। अब तुम्हीं मेरी दुनिया हो। अब तुम्हें कभी जुदा नहीं होने दूंगी। बच्चे भी पुराने कपड़े देखकर हैरान थे। कह रहेे थे कि ये हमारी मां के प्यार को दर्शा रहा है जिसने 13 साल तक हमारे कपड़ों को संभालकर रखा है।
एक गलत फैसलेे ने बदल दी दुनिया
नीतू ने जब बताया कि गुस्से में राखी की चिमटे से पिटाई कर दी थी। जिसके बाद राखी ने घर छोड़ दिया था। एक ओर नीतू को बेटी की पिटाई पर पछतावा हो रहाा था तो वहीं दूसरी ओर राखी भी कह रही थी कि उसे याद तो नहीं लेकिन नादानी में उठाया गया कदम अच्छा नहीं था। दोनों भाई बहन बड़ी मुसीबत में भी फंस सकते थे। इसी गलत फैसले के कारण ही उनको परिवार से अलग होना पड़ा और एक लंबी जुदााई सहनी पड़ी। माता पिता को डांटने का अधिकार है लेकिन बच्चों को गुस्से में आकर घर नहीं छोड़ना चाहिए। हमें तो नरेश पारस मिल गए जिन्होंने हमारी मां को खोज लिया लेकिन देश के तमाम अनाथालयों में अपने परिवार से दूर रह रहे बच्चों को आज भी नरेश पारस जैसे लोगों का इंतजार है जो उनके परिवार से मिला सके।
बदल गया पिता के नाम
राखी ने बताया कि मेरठ में पकड़े जाने के बाद उन्हें जीआरपी मेरठ ने बिलासपुर का बता कर मेरठ चाइल्डलाइन के सदस्यों को सौंप दिया। जहां से बाल कल्याण समिति के आदेश पर 18 जून 2010 को सुभारती करण आश्रम में भेज दिया। दस वर्ष की उम्र तक दोनों भाई-बहन साथ रहे। उसके बाद राखी को नोएडा तथा बबलू को लखनऊ के बाल गृह भेज दिया गया। जहां उनकी परवरिश हुई। इस दौरान दस्तावेजों में उनके पिता का नाम बदल दिया गया। मेरठ बाल कल्याण समिति के अनुसार दस्तावेजों में उनके पिता का नाम संतोष दर्ज था लेकिन अलग अलग अनाथालयों में भेजने के बाद राखी के पिता का नाम सुभाष तथा बबलू के पिता का नाम राजाराम दर्ज कर दिया गया। पिता का नाम बदल जाने से दोनों भाई बहन के मिलने की संभावना खत्म हो गई। 18 साल की आयु पूरी करने के बाद राखी को गाजियाबाद तथा बबलू को लखनऊ के पाश्चात्यवर्ती आश्रम भेज दिया गया। राखी गैर सरकारी बाल गृह में रही जहां उसने 12वीं तक पढ़ाई की। गुड़गाव में जॉब लगा लिया। अब स्नातक की पढ़ाई कर रही है। वहीं बबलू सरकारी बाल गृह में पला बढ़ा। जहां आठवीं तक ही पढ़ सका। अब ओपन स्कूूल से दसवीं में पढ़ रहा है। साथ ही एक निजी कंपनी में जॉब करता है। दोनो भाई बहन का आपस में कोई संपर्क नहीं था। मां से भी मिलने की उम्मीद खो दी थी। अबोध उम्र में लापता होने के कारण यह अपना जिला भी नहीं पहचान पाए। माता-पिता का नाम भी स्पष्ट याद नहीं था। दोनों भाई-बहन डेढ़ साल पहले एक दूसरे के आमने-सामने आए तो उन्होंने तय किया कि हम अपने परिवार को खोजेंगे लेकिन उनको कोई तरकीब नहीं सूझ रही थी।
चिमटे ने उजाड़ दी दुनिया
चिमटे की पिटाई ने एक हंसते खेलते परिवार को बर्बाद कर दिया। उसको कभी ना ना भुला देने वाला दर्द दे दिया। उस दिन को याद करके अभागी मां आज भी शिहर उठी। हालांकि उसे खुशी थी कि 13 साल बाद उसके खोए हुए बच्चे मिल गए हैं लेकिन वह रो-रो कर अपनी गलती का पछतावा कर रही थी। कह रही थी कि गुस्से में मैंने अपनी बेटी को चिमटा न मारा होता तो वह भाई के साथ घर छोड़कर न जाती। बच्चे मां के आंसू पोंछकर चुप करा रहे थे लेकिन वह उस मनहूस दिन को याद करके दहाड़ मारकर रो रही थी। बच्चों ने कहा कि उनको कुछ भी याद नहीं है कि वह कैसे लापता हुए। उनको नहीं पता कि उनकी मां ने उनकी पिटाई की थी। धुंधली सी यादों को समेटे हुए बच्चे अपने अतीत को बताने का प्रयास कर रहे थे लेकिन उनको कुछ याद नहीं आ रहा था। पूरा परिवार 13 साल बाद मिलकर बहुत खुश था। घर में बहुत दिन बाद खुशियां लौटकर आई थीं। मोहल्ले के लोग भी बच्चों को देखने के लिए जुट गए थे।
दुख में बीतीं पांच हजार रातें
साढ़े 13 साल की लगभग 5000 रातें एक अभागी मां के लिए अभिशाप बन गईं। नीतू ने बताया कि बबलू और राखी के बिना उसका एक एक दिन एक एक साल के बराबर गुजरा है। दिन रात रोती रहती थी। बच्चों को खोजने के लिए हर दर पर दस्तक दी। किसी ने मदद नहीं की। किसी ने बताया था पटना में उसके बच्चों को भीख मांगते देखा है। दो हजार रूपये कर्ज पर लेकर पटना गई। उन बच्चों से मिली लेकिन वो मेरे बच्चे नहीं थे। हताश होकर लौट आई। इसी तरह तमाम राज्यों के जिलों की खाक छानी लेकिन कोई सुराग नहीं मिला। मंदिर, मस्जिद, गुरूद्वारा और गिरजाघरों में मन्नत मांगी। तांत्रिकों का भी सहारा लिया लेकिन बच्चे नहीं मिले। मां नीतू का कहना है कि नरेश पारस हमारे लिए भगवान की तरह है। जिस तरह भगवान बिछड़ों को उनके परिवार से मिलाता है। उसी तरह नरेश पारस ने मेरे बच्चों को मुझसे मिला दिया है। मैं भगवान से प्रार्थना करती हूं कि जैसा समय मैंने देखा किसी के परिवार में ऐसी मुश्किल ना आए। जैसे मेरे बिछड़े बच्चे मिले हैं वैसे ही सबके बच्चे मिल जाएं। किसी का बच्चा लापता न रहे।
Media Coverage
India: Two children
ran away. It took them 13 years to get home again
By Geeta Pandey - BBC News, Delhi
https://www.bbc.com/news/world-asia-india-68316447
News Link
Lost
siblings find each other, mom after 13 yrs
The Times of India, Deepak Lavania / TNN / Updated: Dec 28, 2023, 10:12 IS ..
Determination, help from a stranger and a
large dose of luck: How two siblings reunited with their mother after 13 years
The India Express, Written by Dheeraj Mishra Agra | Updated: December 29, 2023 11:04 IST
Agra
siblings reunite with mother after 13 years, had fled after being scolded
India
Today
India Today City Desk Agra,UPDATED: Dec 28, 2023 14:27 IST Written By: Shweta Kumari
Siblings reunite with mother after 13 years
Siblings reunite with mother after 13 years The
siblings had left home after being scolded by their mother and spent time at
children's homes in Noida and Lucknow.
Deccean Hearald PTI Last Updated 28 December 2023,
19:36 IST
https://www.deccanherald.com/india/uttar-pradesh/siblings-reunite-with-mother-after-13-years-2828154
UP Siblings who left home after being
scolded by mother reunited with her after 13 years
The Week PTI Updated:
December 28, 2023 19:03 IST
https://www.deccanherald.com/india/uttar-pradesh/siblings-reunite-with-mother-after-13-years-2828154
UP Siblings Who Left Home
After Being Scolded Meet Mother After 13 Years
NDTV India NewsPress
Trust of India
Updated: December 28, 2023 10:12 pm IST
A Mother’s Search Ends: Siblings Reunited with Family
after 13 Years
Bnn News
By: Rafia Tasleem
Published: December 28, 2023 at 5:44 am EST
13 Years On, Mom Reunites With Kids Who Fled
Home On Being Scolded
She The People Rudrani Gupta Dec 28, 2023 17:37 IST
Brother and sister left home after mother
beat them 13 years later rakhi bablu found in this condition Emotional story
lclam
India Post English
Agra: LOCAL
https://india.postsen.com/local/1516179.html
Brother and sister were lost
at the railway station, met each other after 13 years and mother’s bag was
filled… the story is filmy.
By Morning Express 28/12/2023
Scolded by mom, they left home 13 yrs ago; now reunited with her
Rediff.com Source: PTI
- Edited By: Utkarsh Mishra December 28, 2023
20:16 IST
13 साल पहले भाई-बहन ने छोड़ा था घर, अब ढूंढ निकाला परिवार, फिल्मी है पूरी कहानी
ये कहानी 1980 के दशक की बॉलीवुड फिल्म की तरह है. पिछले 13 साल से झोले में बच्चों की फोटो और तहरीर की फोटो कॉपी लेकर घू ...अधिक पढ़ें
मां ने डांटा तो छोटे बच्चे नाराज होकर चले गए, 13 साल बाद मिले, ये कहानी भावुक कर देगी
उत्तर प्रदेश के आगरा में रहने वाले भाई-बहन साल 2010 मां से नाराज हो कर घर से भाग गए थे. अब साल 2023 में मिले हैं.
The Lallan Lop सुरभि गुप्ता
अरविंद शर्मा 28
दिसंबर 2023 (अपडेटेड: 28 दिसंबर
2023, 23:51 IST)
https://www.thelallantop.com/news/post/agra-siblings-reunite-with-mother-after-13-years
आगरा: मां ने की पिटाई तो घर छोड़कर चले गए भाई-बहन, 13 साल बाद इस हाल में मिले
Aaj Tak अरविंद शर्मा आगरा , 28 दिसंबर 2023, (अपडेटेड 28 दिसंबर 2023, 3:47 PM IST)
Lost
Siblings: 13 साल बाद मां से मिले बच्चे...मां की पिटाई करने पर नाराज होकर घर से भाग गए थे भाई-बहन
आगरा में मंगलवार को जैसे ही महिला ने अपने खोए हुए बच्चों की तस्वीर मोबाइल पर देखी तो वह भावुक होकर रोने लगी. वह अपने बच्चों की लंबे समय से तलाश कर रही...
gnttv.com नई दिल्ली, 28 दिसंबर 2023, (Updated 28 दिसंबर 2023, 3:06 PM IST)
रेलवे स्टेशन पर खो गए थे भाई-बहन, 13 साल बाद एक दूसरे से मिले और मां की भर गई झोली... कहानी फिल्मी है
Nav Bharat Times Compiled
By ऐश्वर्य कुमार राय | नवभारतटाइम्स.कॉम | Updated: 28 Dec 2023, 8:57 am
Hindustan
13 साल पहले परिवार से बिछड़ गए थे भाई-बहन, अब मिले, फिल्म जैसी कहानी रुला देगी
JB News
ByManish Jaiswal
28 December 2023
13 साल बाद मां से मिले जिगर के टुकड़े, अनाथलाय में की पढ़ाई, बेंगलुरु-गुड़गांव में कर रहे JOB
TV9
Bharatvarsh | Updated on: Dec
28, 2023 | 8:29 AM
https://www.tv9hindi.com/state/uttar-pradesh/agra-missing-brother-sister-return-home-mate-with-mother-after-13-years-stwd-2319456.html
आगरा के भाई-बहन 13 साल बाद मां से मिले, डांट के बाद भाग गए थे
Saralnama Last updated: 2023/12/30 at 10:57 PM
https://saralnama.in/%E0%A4%86%E0%A4%97%E0%A4%B0%E0%A4%BE-%E0%A4%95%E0%A5%87-%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%88-%E0%A4%AC%E0%A4%B9%E0%A4%A8-13-%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%B2-%E0%A4%AC%E0%A4%BE%E0%A4%A6-%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%82/
चिमटा मारने नाराज घर छोड़ कर भागे भाई बहन 13 साल बाद जा कर मिले, माँ ने नहीं छोड़ी मिलने की राह
Angry brothers and sisters ran away from home
and met after 13 years, mother did not leave the expectation to meet them again
Agra Voice Shivam Garg
Dec 28,
2023 - 18:38 Dec 28, 2023 - 18:41
https://agravoice.com/Angry-brothers-and-sisters-ran-away-from-home-and-met-after-13-years
https://samachardarpan24.com/?p=102209
2010 में भाई बहन मां की मार से नाराज होकर घर से भागे, 13 साल बाद दोनों बेटा बेटी घर लौटे
दिसंबर 30, 2023
https://www.choptaplus.com/2023/12/2010-13.html
13 साल बाद लौटे बच्चों की आरती उतार कर किया स्वागत
मां बोली अब नहीं होने दूंगी बच्चों अलग
Times of Taj December 28, 2023
https://timesoftaj.com/2023/12/28/welcomed-the-children-who-returned-after-13-years-by-performing-aarti-mother-said-now-i-will-not-let-the-children-be-separated/
UP: बचपन में खोए भाई-बहन अनाथालय में रहकर पढ़े... पाई जॉब; माता-पिता को ढूंढकर की वीडियो कॉल तो छलकी आंखें
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, आगरा Published by: भूपेन्द्र सिंह Updated Wed, 27 Dec 2023 04:36 PM IST
https://www.amarujala.com/uttar-pradesh/agra/son-and-daughter-lost-thirteen-years-ago-in-agra-now-found-by-parents-2023-12-27
https://sanjeevnitoday.com/brother-and-sister-left-home-after-being-angry-with-their-mother-met-in-this-condition-after-13-years/
https://www.livehindustan.com/uttar-pradesh/story-brother-and-sister-left-home-childhood-mother-cried-when-she-saw-her-after-13-years-9128701.html
https://www.youtube.com/watch?v=YCD2KO4Q76I
https://www.youtube.com/watch?v=0rNbo18Ez2w
https://www.youtube.com/watch?v=pHvjtK5Sph0
https://www.youtube.com/watch?v=OEwiGb3sR54
https://www.youtube.com/watch?v=vP-u4CiE1NU
https://www.youtube.com/watch?v=dr89xicM1hc
https://www.youtube.com/watch?v=0vZsbF815xc
https://www.youtube.com/watch?v=xKbOz814Yts
https://www.youtube.com/watch?v=EBGK6htCSCE
https://www.youtube.com/watch?v=wcUqV7PDKic
https://www.youtube.com/watch?v=ypn3DiXcZHs
https://www.youtube.com/watch?v=Bapi4Bq75NA
https://www.youtube.com/watch?v=nAMocqRpyIM
https://www.youtube.com/watch?v=OM9jIijBQHs
માતાપિતાથી નારાજ થઈને ઘર છોડીને ગયેલાં
બાળકો 13 વર્ષે પાછાં કેવી રીતે મળ્યાં?
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BBC
News Gujrati ગીતા પાંડે પદ,બીબીસી ન્યુઝ, દિલ્હી 2 માર્ચ 2024
https://www.bbc.com/gujarati/articles/crg6rzx8wdgo
India: Two children ran away. It took them 13 years to get home again
By Geeta Pandey BBC News, Delhi 1 March 2024
https://mail.google.com/mail/u/0/?tab=rm&ogbl#inbox/FMfcgzGxRxDXSTDcmnpdmqVsklHqBlKn
घरातून पळून गेलेली दोन मुलं तब्बल 13 वर्षांनी घरी परतली तेव्हा...
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गीता पांडे ,बीबीसी न्यूज, दिल्ली 29 फेब्रुवारी 2024 BBC News Marathi 29 February 2024
https://www.bbc.com/marathi/articles/clw5ypz8xdqo
India: Two children ran away. It
took them 13 years to get home again
GEETA PANDEY - BBC NEWS, DELHI
February 29, 2024 at 9:12
AM Aol.com News
https://www.aol.com/news/india-two-children-ran-away-000656994.html
Doi
frați din India au fugit de acasă și s-au rătăcit. A durat 13 ani pentru a-și
regăsi familia, ce au pățit
Adevarul.ro News Ionela Stănilă Publicat:
https://adevarul.ro/stiri-externe/in-lume/doi-frati-din-india-au-fugit-de-acasa-si-s-au-2343791.html#google_vignette
Dois irmãos fugiram dos pais na
Índia. Demoraram 13 anos a voltar a casa
MUNDO ÍNDIA
https://www.noticiasaominuto.com/mundo/2512187/dois-irmaos-fugiram-dos-pais-na-india-demoraram-13-anos-a-voltar-a-casa
Au
plecat de acasă după ce au fost bătuți de mamă și s-au pierdut pe drum. Cum
și-au regăsit doi frați familia după 13 ani
Stirileprotv Stiri Diverse MEDEEA DUMITRACHE STIRI DIVERSE
29-02-2024
"Mintha
egy filmben lettem volna" - 13 év után került vissza a családjához egy
elveszett testvérpár
ATV nagyvilág 2024-02-29 18:43:00
Dzieci
uciekły z rodzinnego domu i się zgubiły. Dopiero po 13 latach
odnalazły matkę
Dzien Dobry tvn
NEWSY 29 lutego
2024, 14:52 Autor:
Dominika CzerniszewskaReporter: wac//mmŹródło: TVN24/BBC
Autor: Dominika
Czerniszewska Reporter: wac//mm Źródło: TVN24/BBC
Źródło
zdjęcia głównego: iStockphoto/Getty Images
TRAILER
„Tatuatorul de la Auschwitz“, realizat după o poveste adevărată, este noua
producție originală SkyShowtime. Când va fi premiera
Adevarul.ro Ana-Maria Şchiopu Publicat: Ultima actualizare:
https://adevarul.ro/showbiz/tv/trailer-tatuatorul-de-la-auschwitz-realizat-2343856.html
அம்மா அடித்ததால் வீட்டை விட்டுச் சென்ற அக்கா-தம்பி 13
ஆண்டுகளுக்குப் பின் வீடு திரும்பியது எப்படி?
BBC News Tamil கீதா பாண்டே பதவி,பிபிசி நியூஸ், டெல்லி 1 மார்ச் 2024
https://www.bbc.com/tamil/articles/c1417jvken7o
ਘਰੋਂ ਭੱਜਣ ਮਗਰੋਂ ਗੁਆਚੇ ਭਰਾ-ਭੈਣ 13 ਸਾਲਾਂ ਬਾਅਦ ਆਪਣੀ ਮਾਂ ਨੂੰ ‘ਫ਼ਿਲਮੀ ਅੰਦਾਜ਼ ’ਚ ਮਿਲੇ
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BBC News Punjabi ਗੀਤਾ ਪਾਂਡੇ ਰੋਲ,ਬੀਬੀਸੀ ਪੱਤਰਕਾਰ
1 ਮਾਰਚ 2024
https://www.bbc.com/punjabi/articles/cd185731yr7o
মায়ের পিটুনি খেয়ে বাড়ি ছাড়া
ভাই-বোন ঘরে ফিরল ১৩ বছর পর
BBC
News Bangla ইত্তেফাক অনলাইন ডেস্ক প্রকাশ : ০১ মার্চ ২০২৪, ১৫:০০
Two children ran away. It took them 13 years to get home again
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Pakistan Defence Musings 29 February 2024
By Geeta Pandey BBC News, Delhi
పారిపోయిన
ఇద్దరు పిల్లలు తిరిగి తమ ఇంటికి చేరుకోవడానికి 13 ఏళ్ళు పట్టింది... ఇన్నేళ్ళూ
వాళ్ళు ఎక్కడున్నారు, ఏం చేశారు?
BBC News Telgu గీతా పాండే హోదా,బీబీసీ ప్రతినిధి 29 ఫిబ్రవరి 2024
Kakak dan adik tersesat setelah kabur
dari rumah, 13 tahun kemudian bertemu ibu
3 Maret 2024 Geeta Pandey BBC News, Indonesia
https://www.bbc.com/indonesia/articles/c2q7rz1q2vlo
インド 迷子で行方不明の姉弟 13年ぶりに母と再会 奇跡と話題
2024年3月2日 5時33分 NHK News Japan
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