रोहिणी को मिला बिछुड़ा परिवार #NareshParas
मां से अलग रहे आठ दिन रोहिणी को आठ साल के बराबर लगे। जब आठ दिन बाद बिछुड़ी वह अपनी मां से मिली तो अपनी आंखों के आंसुओं को रोक न पाई और मां के आंचल में छुपकर खूब रोई। बेटी को रोते देख मां अपनीआंखों के आंसुओं को रोक नहीं पाई। दोनों मां-बेटी बहुत देर तक आपस में लिपट कर रोते रहे। मां ने कहा कि खोई रोहिणी को पाने की खुशी में यह आंसू छलक रहे हैं। 25 जनवरी 14 को पुलिस का एक आठ वर्षीय बालिका रोती हुई मिली थी। पुलिस ने उस बच्ची को चाइल्ड लाइन को सौंप दिया। चाइल्ड लाइन के माध्यम से बच्ची को शाहगंज स्थित राजकीय बाल गृह (_शिशु) में दाखिल करा दिया गया।
नरेश पारस जब राजकीय बाल गृह पहुंचे तो उस बच्ची से बातचीत की तो बच्ची ने अपना नाम रोहिणी, पिता का नाम महेश तथा मां का नाम सपना बताया। उसने बताया कि वह मध्य प्रदेश के जिला राजगढ़, गुलखेड़ी की रहने वाली है। तहसील नरसिंहगढ़ तथा थाना पचोर बताया। बच्ची ने अपनी मां का मोबाईल नं. 09977093734 बताया। नरेश पारस ने इस मोबाईल नंबर पर फोन किया तो रोहिणी की मां सपना ने फोन उठाया। सपना ने बताया कि वह पुराने कपड़े बेचने का काम करती है। उसकी बहन सुशीला पुराने कपड़े बेचती है। सुशीला पुराने कपड़े बेचने के लिए आगरा गई थी। वह अपने साथ रोहिणी को ले गई थी। 22 जनवरी 14 को रोहिणी अपनी मौसी सुशीला से बिछुड़ गई। सुशीला ने रोहिणी की खूब तलाश की लेकिन रोहिणी नहीं मिली। आखिरकार थक हारकर सुशीला मध्य प्रदेश लौट गई।
नरेश पारस ने सपना से रोहिणी की बात कराई रोहिणी ने रोते-रोते कहा मां मुझे यहां से ले जाओ। नरेश पारस ने सपना को बताया कि उनकी बेटी रोहिणी राजकीय बाल गृह में सुरक्षित रह रही है। नरेश पारस से पता लेकर सपना 30-1-14 की रात राजकीय बाल गृह पहुंची। बाल कल्याण समिति के आदेश पर रोहिणी को उसकी मां सपना के सुपुर्द क र दिया गया।
द सी एक्सप्रेस 31.1.14 |
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