महीनों
बाद मां को देखकर साहिद मां लिपट गया। मां भी उसे बार बार चूम रही थी। दोनों की
आंखों से आंशू निकल रहे थे। मौका था राजकीय बाल गृह का जहां करीब 15 दिनों से
साहिद नामक बच्चा रह रहा था। छोटे भाई के लिए दूध लेने गया साहिद अपने परिवार से
बिछुड़ गया था। वह आगरा आ गया था। आगरा में उसे बाल गृह में निरूद्ध कर दिया गया था।
निरूद्ध करके उसे सब भूल गये।
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आई नेक्स्ट 15.12.12 |
नरेश पारस राजकीय बाल गृह में अक्सर जाते रहते
हैं। इसी बीच उनकी नजर साहिद पर पड़ी वह हर समय रोता रहता था। उससे नरेश पारस ने
बातचीत की तो उसने अपना पता जामिया, ओखला मंडी के
पास बटला हाउस धोबी घाट के पास बताया। साहिद ने बताया कि उसकी मां घरों में झाड़ू
पोछा करती है। वह बहुत ही गरीब हैं। मां ने बीस पंद्रह रूपये दिये थे छोटे भाई के
लिए दूध लाने को लेकिन वह रास्ते में भटक गया ट्रेन से आगरा आ गया। इस पर नरेश
पारस ने इस बच्चे का विवरण इंटरनेट पर अपलोड कर दिया और साथ ही दिल्ली की न संस्था
से संपर्क किया।
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दैनिक जागरण 15.12.12 |
उन्होने जामिया थाने में संपर्क किया तो बताया
गया इस लगभग एक माह पहले इस बच्चे की गुमशुदगी दर्ज कराने एक महिला आई थी। पुलिस
ने प्रयास करके साहिद की मां को ढूंढ लिया और आगरा में नरेश पारस से संपर्क किया।
नरेश पारस ने बच्चे की फोटो सहित जानकारी पुलिस को दी। दिल्ली के थाना जामिया नगर
के पुलिस उपनिरीक्षक बनय सिंह साहिद की मां शकीना खातून को लेकर आगरा पहुचे और
नरेश पारस से संपर्क किया। नरेश पारस पुलिस और साहिद की मां को लेकर बाल गृह
पहुचे। बच्चों से पहचान कराने को कहा तो साहिद मां को देखकर दौड़ पड़ा और मां के
आंचल में छिप गया। मां भी उसे चूमने लगी। बच्चा मां से बोला मां मैं अब यहां नहीं
रहूगा। मुझे ले चला। दोनों ही भावुक हो रहे थे। नरेश पारस ने मां बेटों को बाल
कल्याण समिति के समक्ष पेश किया। बाल कल्याण समिति के आदेश पर बच्चे को उसकी मां
की सुपुर्दगी में दे दिया गया। मां नरेश पारस को धन्यवाद देते देते नहीं थक रही
थी। मां बेटे ने बाल गृह में ही साथ बैठकर खाना खाया। बाल गृह में मौजूद सभी इस
नजारे को देखकर भावुक हो रहे थे।
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द सी एक्सप्रेस 15.12.12 |
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अमर उजाला 15.12.12 |
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हिंदुस्तान 15.12.15 |
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