दीवाली पर दिया बेटे का उपहार #NareshParas




      दीवाली पर लोग एक दूसरे को मिठाई और उपहार देते हैं लेकिन नरेश पारस ने दीवाली पर एक पिता को उसका खोया बेटा लौटकर उसे दिवाली का उपहार दे दिया. आगरा के राजकीय बाल गृह (शिशु) में पांच माह से रह रहा गौरव नरेश पारस की पहल पर अपने घर पहुच गया। फिरोजाबाद के बड़ा मिर्जा का नगला का रहने वाला मासूम पांच माह बाल गृह में काटने के बाद अपने घर पहुच ही गया।
आई नेक्स्ट 16.11.12 

      15 जून 2012 को गौरव नामक बच्चा राजकीय बाल गृह निरूद्ध किया गया था। यह बच्चा घर से भागकर आगरा आ गया था। आगरा पुलिस ने यह बच्चा राजकीय बाल गृह में निरूद्ध करा दिया था। अगस्त माह में गौरव को अन्य बच्चों के साथ पढ़ने के लिए राजकीय आश्रम पद्वति विद्यालय इटौरा भेज दिया गया था। आठ नवंबर को यह बच्चे दिवाली मनाने के लिए बापस बाल गृह आये थे। उसी दिन नरेश पारस राजकीय बाल गृह बच्चों से मिलने पहुचे थे। उसी दौरान नरेश पारस ने गौरव से बात की तो गौरव ने अपना पता बताया।


        नरेश पारस ने इसकी सूचना बाल गृह के अधिकारीयों को दी और घर भेजने का अनुरोध किया. नरेश पारस ने बच्चे को बाल कल्याण समिति के समक्ष पेश किया। बाल कल्याण समिति ने गौरव को उसके घर भिजवाने के आदेश जारी कर दिये। बाल गृह के लिपिक सुशील कुमार के साथ गौरव को फिरोजाबाद भेज दिया। सुशील कुमार गौरव को लेकर उसके घर फिरोजाबाद पहुचे। गौरव ने जैसे ही अपने पिता गोकुल को देखा तो वह सुशील कुमार से छूटकर पिता से जाकर लिपट गया। पिता तथा बेटे दोनो आपस में लिपट गये और दोनों की आंखों से आंशू बह निकले। वहां मौजूद लोग भी भावुक हो गये। सुशील कुमार ने गौरव के पिता की बात नरेश पारस से कराई। गौरव के पिता गोकुल ने नरेश पारस को बताया कि उसकी पत्नी पूजा पहले ही मर चुकी है। घर में केवल वह और उसका बेटा गोकुल ही रहते थे। किसी बात को लेकर गोकुल ने गौरव को डांट दिया था। गोकुल बाजार से सब्जी लेने गया था उसी दौरान गौरव घर से नाराज होकर चला गया था। काफी खोजबीन की थी लेकिन वह कहीं नहीं मिला था। गोकुल चूड़ी का काम करता है। बेटे के गम में वह हर समय खोया रहता था। वह सोच रहा था कि बेटे के बिना दिवाली कैसे मनेगी। बिना बेटे के घर में सब कुछ अधूरा था। गोकुल के यही इकलोता बेटा है। बच्चे को पाकर गोकुल बेहद खुश नजर आ रहा था। उसका कहना था कि अब दिवाली की खुशी उसके लिए दोगुनी हो गई है।

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