पिता ने दुत्‍कारा, मां से नरेश पारस ने मिलाया #NareshParas

अपनी माँ के साथ नैना और ख़ुशी 


        पिता के घर से दुत्कारी गईं दो मासूम बच्चियों को नरेश पारस ने आखिर मां का आंचल मिल ही गया। ये सम्भव हुआ फेसबुक के माध्यम से। नैना (5 साल) और खुशी (6 साल) के मां-बाप विवाद की वजह से अलग-अलग रहते हैं। दोनों बच्चियों ने पिता के साथ होली खेलने की जिद की। तब मां दोनों बेटियों को पिता के घर के दरवाजे पर छोड़ कर वापस चली गई। यहां से दोनों को भगा दिया गया। रोती हुई बच्चियों को एक व्‍यक्ति ने पुलिस तक पहुंचा दिया और फिर राजकीय बाल गृह। उसकी फोटो फेसबुक पर डाली गई और तीसरे ही दिन मां को यह खबर लग गई। मां और बेटियों को इस सोशल नेटवर्किंग साइट ने मिलवा दिया। इसके जरिया बने सामाजिक कार्यकर्ता नरेस पारस।



         25 मार्च को खुशी तथा नैना दो मासूम बचिचयां कोटली बगीची के पास सड़क पर लावारिस हालत में रोती हुर्इ मिली थीं। जिन्हें लोगों ने थाना ताजगंज भिजवा दिया। थाने से उन्हें राजकीय बाल गृह भिजवा दिया गया। वह अपने नाम के अलावा कुछ भी नहीं बता पा रही थीं। इसी बीच 26 मार्च  नरेश पारस अपने मित्रों के राजकीय बाल गृह में बच्चों के साथ होली मनाने पहुचे थे तो ये बच्ची नरेश पारस को देखकर रोने और कहा अंकल हमें घर भिजवा दो। नरेश पारस ने इन बचिचयों से जानकारी लेकर फेसबुक पर अपलोड कर दी। फेसबुक पर लगभग 500 से अधिक लोगों ने इन बचिचयों के फोटो को शेयर किया। बचिचयों के बाल गृह में होने की सूचना उसकी मां बबली तक पहुच गर्इ। बचिचयों की मां राजकीय बाल गृह पहुची और नरेश पारस से उनके मोबार्इल पर संपर्क किया। बाल गृह में अपनी मां को देखकर मासूम खुशी और नैना अपनी मां के आंचल में छुप गर्इ और घर ले जाने की जिद करने लगी। मां बबली नरेश पारस का धन्यवाद देते नहीं थक रही थी। नरेश पारस ने बचिचयों के मिल जाने की सूचना भी फेसबुक पर अपलोड की और फेसबुक मित्रों को धन्यवाद दिया। 

नैना और ख़ुशी 

          खुशी तथा नैना की मां ने नरेश पारस को बताया कि उसका ससुराल आगरा के कौलक्खे में हैं। उसके पति का नाम अविनीश है। उसके पति से दो वर्ष पूर्व अनबन हो गर्इ थी। तब से वह अपने पति से अलग अपनी मां के साथ रह रही थी। होली पर नैना तथा खुशी ने पिता के साथ होली खेलने की जिद की तो मां बबली बच्चों को अपने पति के दरवाजे पर छोड़ आर्इ लेकिन बच्चों को घर से निकाल दिया गया। बच्चे रोते रोते सड़क पर आ गये। लोगों ने लावारिस समझ बचिचयों को पुलिस के सुपुर्द कर दिया। और उन्हें राजकीय बाल गृह भिजवा दिया। लेकिन अब बचिचयां अपनी मां के पास पहुच गर्इ हैं। बच्चों की मां के साथ उनकी नानी द्रोपदी और मामा कपिल भी आये थे।
नैना और ख़ुशी अपनी माँ और नानी के साथ 

 

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