ग्वालियर से लापता हुए बच्चे को पहुंचाया घर

   
 दिनांक 18 दिसंबर 2014 में बाल कल्याण समिति, एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट तथा नरेश पारस द्वारा आगरा कैंट पर भिखारी बच्चों को पकड़ने के लिए छापामार कार्यवाही की गई थी, जिसमें स्टेशन से राहुल नामक एक लावारिस हालत में बच्चे को पकड़ा था। वह बता रहा था कि वह काफी सालों से आगरा कैंट स्टेशन पर ही रहा है। बच्चे को बाल कल्याण समिति के आदेश पर आगरा के राजकीय बाल गृह में भेज दिया गया। बाल गृह में जब नरेश पारस ने बच्चे से बातचीत की तो उसने अपना नाम राहुल, उम्र 8 वर्ष, पिता का नाम तख्त सिंह, मां का नाम सीता बताया। उसने बताया कि उसके चार भाई तथा तीन बहनें हैं। उसके बड़े भाई का नाम अजय है जो ग्वालियर में अष्लेष्वर मंदिर के पास पोहा का ठेला लगाता है। उसके पिता हत्या के आरोप में जेल काट रहे हैं। उसकी मां मंदिर में भीख मांगती है। विजय, अनिकेश, अन्नू, राहुल भाई हैं। रानी, गौरी तथा शान्ति उसकी बहनें हैं। बच्चे के पास एक शर्ट भी मिली है, जिस पर सरस्वती कन्या/बालक विद्यालय, ग्वालियर मिली। राहुल का कहना है कि वह रिनिया नामक स्थान पर परिवार के साथ रहता है। किसी तरह ट्रेन में बैठकर आगरा आ गया था। 

राहुल की जानकारी लेकर नरेश पारस ने ग्वालियर की सामाजिक संस्थाओं से संपर्क स्थापित तथा सम्पूर्ण विवरण उन्हें बताया। स्थानीय संस्थाओं की मदद से राहुल की मां को खोज निकाला तथा नरेश पारस को जानकारी दी। नरेश पारस ने राहुल की मां को आगरा बुलवाया तथा आगरा बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत कराया। तथा बाल कल्याण समिति से राहुल को सुपुर्द कराने का अनुरोध किया। बाल कल्याण समिति को राहुल की मां ने पूरी बात बताई। राहुल की मां के पास कोई पहचान पत्र न होने के कारण उसे राहुल सुपुर्द नहीं किया गया। क्यूआईसीएसी के अनुरोध पर राहुल को ग्वालियर भेज दिया गया तथा बाल कल्याण समिति ग्वालियर के आदेश पर राहल को उसकी मां के सुपुर्द कर दिया गया। 






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