मां के डांटने पर छोड़ा घर, नरेश पारस ने भिजवाई घर #NareshParas





आगरा के थाना पिनाहट में दिनांक 5 अगस्त 2015 को एक आठ साल की बालिका लावारिस घूमते हुए मिली थी। वह बदहवास हालत में भटक रही थी। एक मसाला दुकानदार ने बालिका से बातचीत की तो उसने अपना नाम साधना बताया लेकिन घर का पता नहीं बताया। मसाला दुकानदार उसे अपने घर ले गया।  कई दिन अपने घर रखने के बाद वह बालिका को पिनाहट थाना ले गया तथा पुलिस की सुपुर्दगी में साधना को दे दिया। पुलिस ने पास ही रहने वाली एक महिला को साधना को दे दिया। वह साधना की देखभाल करने लगी। थाना प्रभारी ने बताया कि लड़की अपने परिवार के बारे में कुछ भी नहीं बता रही है। वह कह रही है कि उसके माता-पिता को किसी ने रंजिस के चलते मार दिया है। वह अनाथ है।





नरेश पारस को साधना के बारे में जानकारी मिली तो नरेश पारस ने थाना पिनाहट जाकर जानकारी ली तो थानाध्यक्ष ने नरेश पारस से कहा कि उन्हें बाल कल्याण समिति आदि के बारे में जानकारी नहीं है इसलिए बालिका को एक महिला की सुपुर्दगी में देखभाल के लिए दे दिया। नरेश पारस ने पुलिस को बाल कल्याण समिति की जानकारी दी तथा बाल कल्याण सामिति के समक्ष प्रस्तुत करने का आग्रह किया। थाना पुलिस बालिका को लेकर राजकीय बाल गृह ले गई जहां उसे बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत किया। कुछ दिन बाल गृह में रहने के बाद नरेश पारस ने बालिका की काउंसलिंग की तो बालिका ने अपना नाम साधना तथा पिता का नाम भूरीसिंह तथा मां का नाम आशादेवी निवासी गुनपई, मक्खनपुर फिरोजाबाद बताया। उसके पिता मजदूरी करते हैं। उसने बताया कि मां उसे डांटती थी इसलिए वह घर छोड़कर चली आई। वह आगरा आई फिर उसके बाद बस में बैठकर पिनाहट चली आई। नरेश पारस ने पूछा कि पहले झूठ क्यों बोला तो उसने कहा कि मां-बाप के पास न भेज दें इसलिए उसने झूठ बोला लेकिन अब वह अपने माता-पिता के पास जाना चाहती है। बालिका की निशानदेही पर नरेश पारस ने फिरोजाबाद जाकर परिवार को तलासा तथा साधना के बाल गृह में होने की जानकारी दी। साधना के पिता ने बताया कि वह घर से नाराज होकर चली गई थी। साधना का परिवार काफी गरीब है। उसका कच्चा मकान बना हुआ है। 


13 अक्टूबर 2015 को साधना के परिजनों को नरेश पारस ने आगरा बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत किया। जैसे ही बालिका को परिजनों के सामने लाया गया वह दौड़कर अपनी मां के पास आ गई और लिपट गई। कहने लगी मां मुझे यहां से ले जाओ। साधना, उसकी मां और पिता तीनों रोने लगे। बाल कल्याण समिति ने लिखा-पढ़ी करके साधना को परिजनों के सुपुर्द कर दिया।








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