दिल्ली से बरामद कराया फिरोजाबाद का धर्मेन्द्र #NareshParas
ऑपरेशन स्माइल अभियान के तहत आगरा जनपद की एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट की टीम दिनांक आगरा के बच्चे को तलाशने के दिल्ली गई थी। वहां उसे दिल्ली के संस्कार आश्रम में आठ वर्षीय एक बालक मिला जो अपना नाम धर्मेर्न्द्र, पिता का नाम भीकम सिंह बता रहा था। उसने अपना पता टूटी पुलिया के पास आसपाबाद फिरोजाबाद बताया। एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट फिरोजाबाद की टीम ने फिरोजाबाद जाकर बच्चे के परिजनों की जानकारी की लेकिन एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट को धर्मेन्द्र के परिजनों का पता नहीं मिला। टीम बापस आगरा आ गई। टीम ने आगरा आकर दिनांक 13 जनवरी 2016 को क्यूआईसीएसी को इसकी जानकारी दी। नरेश पारस ने अपने स्तर से फिरोजाबाद में धर्मेन्द्र के परिजनों की तलाश की तो परिजनों को पता मिल गया।
धर्मेन्द्र के पिता ने क्यूआईसीएसी को बताया कि टूटी पुलिया आसपाबाद फिरोजाबाद में किराए पर रिक्शा चालक राजू रहता था। उसकी पत्नी तीन वर्षीय धर्मेन्द्र तथा उसे छोड़कर कहीं चली गई थी। पत्नी के जाने के बाद राजू ने मटसैना निवासी मंजू के साथ दूसरी शादी कर ली। शादी के बाद राजू तथा मंजू ने धर्मेन्द्र को छोड़ने का मन बना लिया। मंजू ने रिश्ते के भाई लगने वाले भीकम सिंह एवं उसकी पत्नी सुनीता को धर्मेन्द्र को सौंप दिया और कहीं बाहर चले गए। ये दोनों पति-पत्नी निःसंतान थे। दोनों धर्मेन्द्र को पालने लगे। डेढ़ साल पहले राजू तथा मंजू फिरोजाबाद आए और धर्मेन्द्र को मांगने लगे। धर्मेन्द्र अब समझदार हो गया था। वह भीकम सिंह तथा सुनीता को छोड़कर जाना नहीं चाहता लेकिन राजू और मंजू उसे जर्बदस्ती दिल्ली ले गए।
भीकम सिंह ने नरेश पारस को बताया कि वह अब भी धर्मेन्द्र को पालना चाहता है। वह उसे दिल्ली से लाना चाहता है। नरेश पारस ने भीकम सिंह की मुलाकात आगरा एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट से कराई। एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट ने बाल कल्याण समिति दिल्ली उत्तरपुर को पत्र लिख धर्मेन्द्र को देने का अनुरोध किया। दिनांक 18.1.2016 को बाल कल्याण समिति के आदेश पर धर्मेन्द्र को भीकम सिंह के सुपुर्द कर दिया गया।
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