ट्रेन में शोहदों से बचाई उड़ीसा की किशोरी, कराया परिजनों के सुपुर्द #NareshParas



     
  भुवनेश्वर, उड़ीसा से एक किशोरी अपनी दूर की रिश्तेदार के साथ मथुरा घूमने चली आई, जहों रिश्तेदार उसे छोड़कर चली गई। लगभग एक साप्ताह मंदिरों में भीख मांगने और होटलों में बर्तन साफ करके पेट भरना पड़ा। आखिर में पुलिस ने उसे भुवनेश्वर की टिकट देकर शटल ट्रेन में बैठा दिया, लेकिन ट्रेन में भी उसके साथ मनचलों ने उससे छेड़छाड़ और अपनी इज्जत बचाती हुई यात्रियों से गुहार लगाती रही। इसी बीच एक सिपाही मददगार बना और नरेश पारस के सहयोग से किशोरी को आश्रय गृह पहुंचवाया। 

      दिनांक 19 मई 2015 की सुबह एक किशोरी मथुरा से शटल में आ रही थी। ट्रेन में रास्ते में उसके साथ कुछ युवक उसके साथ छेड़छाड़ करते रहे। उसने मना भी किया लेकिन दोनों युवक उसे अपने साथ ले जाना चाहते थे। किशोरी को लेकर वह आपस में झगड़ बैठे। किशोरी अपनी इज्जत बचाने की गुहार लगा रही थी। यात्रियों ने उससे पूछा तो उसने बताया कि वह भवनेश्वर जा रही है। जबकि ट्रेन सिर्फ आगरा तक जाती है। आगरा गुमशुदा प्रकोष्ठ में तैनात एचसीपी गंगाराम ने इस किशोरी को राजामंडी स्टेशन पर उतार लिया। इसके बाद उन्होंने नरेश पारस को सूचित किया। सूचना पाकर नरेश पारस राजा मंडी स्टेशन पहुंच गई। नरेश पारस तथा एचसीपी गंगाराम उक्त किशोरी को राजामंडी स्टेशन स्थित जीआरपी चौकी ले गए। 

      चौकी पर नरेश पारस तथा पुलिस ने किशोरी से बात की तो किशोरी ने अपना नाम रेवती उर्फ रितु, पिता का नाम मकर प्रधान, मां कमला प्रधान निवासी एसमाड़ी गांव, थाना सारगढ़, जिला कंदमाल, उड़ीसा बताया। उसने अपनी उम्र लगभग 17-18 वर्ष बताई। किशोरी ने बताया कि उसकी बड़ी बहन प्रतिमा प्रधान की दूर की मित्र कुनीता उसे मथुरा दर्शन कराने के बहाने से ले आई। मथुरा में दोनों ने साथ-साथ मंदिरों के दर्शन किए तथा परिक्रमा लगाई। कुनीता उसे छोड़कर चली गई। तब से वह मथुरा में भटक रही थी। वह लगभग एक साप्ताह मथुरा में रही। किशोरी ने बताया कि वह मंदिरों से प्रसाद खाकर अपना पेट भरती रही। तथा किशोरी ने यह भी बताया कि उसने होटल में भी एक साप्ताह काम किया था, जिसके बदले मालिक ने उसे एक हजार रूपये भी दिए। किशोरी ने बताया कि कुनीता से पहले कभी नहीं मिली थी तथा वह घर से बिना बताए आई है। उसके पास कुछ मोबाइल नंबर भी मिले। एक नंबर पर संपर्क उसके गांव में संजय नामक व्यक्ति से संपर्क किया गया। संजय ने पहचान तो लिया लेकिन उसने कहा कि उसे नहीं पता कि वह कब उड़ीसा से आगरा गई। फिर उसने अपना मोबाइल बंद कर लिया। 

    किशोरी के पास इतिश्री प्रधान नामक एक युवती का वोटर कार्ड और एटीएम भी मिला, जिस पर पता कंधामल उड़ीसा लिखा है। किशोरी का कहना है कि यह उसकी बड़ी बहन का है। जो उससे 45 किमी दूर रहती है। साथ किशोरी पर एक मथुरा की युवती का भी वोटर कार्ड मिला है। एक कागज पर कई सारे मोबाइल नंबर भी मिले हैं। मामला संदिग्ध है। यह मामला मानव तस्करी का भी हो सकता है। किशोरी गुमराह कर रही है। यह उसकी काउंसलिंग में स्पष्ट हो पाएगा। नरेश पारस ने यह मामला बाल कल्याण समिति के संज्ञान में भी लाया है। बाल कल्याण समिति के आदेश पर किशोरी को पंचशील आश्रय गृह भेज दिया गया। किशोरी के परिजनों को तलाशने के लिए भुवनेश्वर की एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट से संपर्क किया गया । उड़ीसा में एंटी ह्यूमन ट्रेफिकिंग यूनिट की मदद से किशोरी के परिजनों को तलाश लिया गया.परिजनों ने आगरा आकर नरेश पारस से संपर्क किया.नरेश पारस ने बाल कल्याण समिति और पुलिस की मदद से किशोरी को उसके परिजनों के सुपुर्द करा दिया,










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