बदहवास हालत में मिली बिछुड़ी किशोरी को भिजवाया घर #NareshParas


यू तो लापता बच्चों की तलाश के लिए पुलिस खूब दम भरती है लेकिन सच्चाई कुछ और ही होती है। आगरा के बरहन रेलवे स्टेशन पर बदहवास हालत में मिली किशोरी भयभीत थी अपने घर जाना चाहती थी। गंदी निगाहें भी उसका पीछा कर रही थीं लेकिन मंदबुद्धि होने के कारण वह घर पहुंचने में असमर्थ थी। जीआरपी पुलिस ने घर मिलने की आस छोड दी थी। ऐसे में नरेश पारस ने पुलिस से संपर्क किया तो उन्होंने बताया कि पूजा नाम की कोई गुमशुदगी दर्ज ही नही है। फिर क्या था, नरेश पारस पूजा के फोटो को लेकर गली-मोहल्लों में दिखाते हुए घूमे आखिरकार पूजा का परिवार मिल ही गया। परिवार ने तहरीर की कॉपी भी दिखाई कहा कि उन्होंने थाने में तहरीर भी दी थी। यहां सिस्टम की पोल खुल गई। खैर नरेश पारस के माध्यम से एक बिछुड़ी किशोरी अपने घर पहुंच गई और गलत हाथों में जाने से बच गई। 



दिनांक आठ सितम्बर 2017 को आगरा जनपद के बरहन रेलवे स्टेशन पर एक 17 वर्षीय किशोरी बदहवास हालत में भटक रही थी। कुछ युवक उसे तंग कर रहे थे। वह जिधर जाती उधर ही उसका पीछा करते थे। वह अपना नाम पूजा और ख्वास पुरा शाहगंज आगरा बता रही थी। जीआरपी पुलिस ने उसे जीआरपी थाने में बैठा लिया परिवार को खोजने का प्रयास किया लेकिन कोई सफलता नहीं मिली। 

आगरा के चाइल्ड राइट् एक्टिविस्ट नरेश पारस इस किशोरी के पास पहुंचे। किशोरी से पूछताछ की तो वह भयभीत थी। उसे बहुत तेज बुखार आ रहा था। सबसे पहले तो उसे दवा दिलवाई। वह कुछ भी बता पाने की स्थिति में नहीं थी। ज्यादा पूछने पर उसने अपना नाम पूजा पिता का नाम मुकेश बताया। उसने बताया कि वह आगरा के ख्वासपुरा में रहती है। उसके पिता फर्नीचर का काम करते हैं। नरेश पारस ने संबंधित थाना शाहगंज में संपर्क किया तो उन्होंने बताया कि इस की कोई किशोरी इस थाना क्षेत्र से गायब नहीं हुई है। नरेश पारस ने पुलिस को लड़की की जानकारी दी कि ख्वास की यह लड़की बरहन में है। 

नरेश पारस ने हिम्मत नहीं हारी और वह खुद ख्वासपुरा पहुंच गया। वहां गलियों में पूजा का फोटो दिखाया लोगों से पूछा। पूछते-पूछते वह मोहल्ले के एक डॉक्टर से मिले। उन्होंने बताया कि यह किशोरी तो कल से लापता है। वह नरेश पारस को पूजा के घर ले गए। पूजा के पिता मुकेश ने बताया कि लापता होते ही उन्होने आगरा के थाना शाहगंज में सूचना दे दी थी। उन्होंने थाने में दी तहरीर भी दिखाई। नरेश पारस पूजा के माता-पिता को बरहन ले गए। बरहन से किशोरी को टूण्डला थाने ले जाया गया था जहां से सरकारी लिखा-पढ़ी के बाद पूजा को उसके परिवार के सुपुर्द कर दिया गया। अपनी बिछुड़ी बेटी को पाकर परिवार बहुत खुश था। पूजा ने घर आकर अपने परिवार को बताया कि वह सुबह घर से दूध लेने गई थी लेकिन रास्ता भटक गई और बरहन पहंच गई। यदि नरेश पारस समय से न आते तो न जाने उसका क्या होता। एक बार फिर नरेश पारस के प्रयास से एक बिछुड़ी किशोरी अपने घर पहुंच गई।





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