नींबू मिर्च बांधने वाले बच्चे फर्स्ट डिवीजन पास, जानिए संघर्ष की दास्तां
- हौंसलों को मिला सहारा तो उम्मीदों ने भरी उड़ान
- झुग्गी झोपड़ी तथा मलिन बस्ती के बच्चों ने बोर्ड परीक्षाओं में किया शानदार प्रदर्शन
- आर्मी, शिक्षक, वकील और पुलिस बनकर देशसेवा करने का जज्बा
कहते हैं जिनके अंदर हुनर है, चाहे कितनी भी मुश्किलों क्यों न हो वो अपना रास्ता तय कर ही लेता है। अभावों में कदम तो रुक सकते हैं, लेकिन हौसले नहीं टूटते। वह खुली आंखों से बड़े सपने देखते हैं, बल्कि उन्हें पाने के लिए जमकर मेहनत भी करते हैं। इन सपनों को जब निडर हौसलों के पंख लगते हैं, तो वह कुछ भी कर गुजरते हैं और अपनी कहानी खुद लिखते हैं। दुष्यंत कुमार ने भी कहा है कि “कौन कहता है कि आसमां में सुराख नहीं होता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो“। सपनों को उड़ान भरने में वक़्त नही लगता जब सपनों के पंखों को निडर हौसलों को हवा का सहारा मिल जाये। कुछ ऐसा ही आगरा के गुदड़ी के लालों ने कर दिखाया। झुग्गी झोपड़िया में रहकर नींबू मिर्च बांधकर लोगों की नजर उतारने वाले बच्चे लीक से हटकर एक ऐसी लकीर खींचने को बेकरार हैं। जिसको भविष्य में कोई अन्य काट न सके। ये बच्चे चाइल्ड राइट्स एक्टिविस्ट नरेश पारस के संपर्क में आकर सोने की तरह दमक रहे हैं। उनके मार्गदर्शन और मदद से अपने हौसले को बढ़ा रहे हैं। इन बच्चों ने यूपी बोर्ड परीक्षाओं में भी अपनी चमक बिखेर दी। बोर्ड परीक्षाओं में शानदार प्रदर्शन किया है। झुग्गी झोपड़ी और मलिन बस्तियों के बच्चों की प्रतिभा की चहुंओर तारीफ हो रही है।
झुग्गी झोपड़ियों में रहने वाले परिवार का मुख्य काम शनिवार को शहरभर में नीबू मिर्च बांधने का है। आगरा के पंचकुइयां में शिक्षा विभाग के कार्यालय परिसर में झुग्गी झोपड़ियों में रहने वाले परिवार नींबू मिर्च बांधकर शहर के लोगों की नजर उतारने का काम करते हैं लेकिन खुद को जमाने की नजर लगी हुई है। नीबू-मिर्च बांधकर लोगों की नजर उतारने का काम करने वाले यह बच्चे समाज की मुख्यधारा से दूर थे। इन परिवारों के कई बच्चे भीख मांगते थे लेकिन ऐसे में देवदूत बनकर आए सामाजिक कार्यकर्ता नरेश पारस के संपर्क में आने पर उनका जीवन बदल गया। वह इन बच्चों के हुनर को लगातार तराश रहे हैं। न सिर्फ सरकारी स्कूलों में प्रवेश मिला, बल्कि बोर्ड परीक्षा में सफलता भी पाई। परीक्षाओं की तैयारी करना आसान नहीं था। बच्चों के खुद के घर नहीं हैं। झुग्गी झोपड़ी बनाकर रहते हैं। मूलभूत सुविधाओं से कोसों दूर हैं। बिजली पानी नहीं हैं। जिससे नहा धोकर स्कूल जा सकें और बिजली की रोशनी में पढ़ाई कर सकें लेकिन सफलता पाने की जिद के आगे सब बौने साबित हुए। नरेश पारस ने बच्चों को पेड़ की छांव में बोर्ड परीक्षाओं की तैयारी कराई। रात होने पर मोमबत्ती की रोशनी में बच्चे पढ़ते लेकिन हवा के झोंकों से मोमबत्ती ज्यादा देर तक नहीं चल पाती। सड़क पर लगी स्ट्रीट लाइट के नीचे बच्चों परीक्षाओं की तैयारी की।
जब यूपी बोर्ड 2023-24 का परीक्षा परिणाम आया तो बच्चों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। सभी बच्चे पास हो गए थे। अपने समुदाय के पहले बच्चे थे जिन्होंने बोर्ड परीक्षाएं पास की थीं। बच्चों की सफलता को समुदाय में उत्सव के रूप में मनाया गया। मिठाई खिलाकर खुशी का इजहार किया। एक लड़के ने 12वीं तथा तीन लड़कियों ने 10वीं की परीक्षा दी। जिसमें लड़के शेरअली खान ने 12वीं में 66 फीसदी तथा अन्य लड़कियों करीना, निर्जला और कामिनी ने दसवीं की परीक्षा उत्तीर्ण की। शेर अली आर्मी में सैनिक बनकर देशसेवा करना चाहता है। वहीं करीना डॉक्टर, निर्जला पुलिस अधिकारी और कामिनी शिक्षक बनना चाहती है।
Dainik Jagran Agra 21.04.2024ये हौसलों की उड़ान है; अभाव में नहीं रुके कदम, अपने दम पर पाई सफलता, स्ट्रीट लाइट के नीचे पढ़कर फर्स्ट क्लास हुए पास
Dainik Jagran Agra. By Sandeep Kumar Edited By: Abhishek Saxena
Published: Sun, 21 Apr 2024 12:26 PM (IST)Updated: Sun, 21 Apr 2024 12:26 PM (IST)
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