हावड़ा से बरामद कराया आगरा का 'बिहारी' #NareshParas
तू कितना कमजोर हो गया है, खाना मिलता था या नहीं, इतने मुझसे दूर कैसा रहा, तेरी याद में एक-एक पल एक-एक साल की तरह बीता, अब मुझे छोड़कर मत जाना.......ये शब्द उस मां के जिसके जिगर का टुकड़ा डेढ़ साल बाद घर लौटा था। वह रोती जा रही थी और अपने बेटे की कुशलता पूछ रहीं थी। पिता भी दुलार रहे थे। मोहल्ले के लोग भी बच्चे की कुशलता पूछ रहे थे। एक गरीब घर में दुबारा से खुशियां लौट आईं। नरेश पारस की पहल तथा पुलिस के सहयोग से डेढ़ साल पूर्व लापता हुआ खतैना का राजेश उर्फ बिहारी हावड़ा से बापस लौट आया।
लापता बच्चों को लेकर सुप्रीम कोर्ट तथा सरकारें काफी सख्त
हैं। लापता बच्चों को तलाशने के लिए समय-समय पर पुलिस मुख्यालय द्वारा आदेश जारी
किए जाते हैं। बच्चों की समस्याओं के समाधान के लिए बकायदा सभी थानों में बाल
कल्याण अधिकारी नियुक्त किए गए हैं लेकिन सभी नियम कायदे कानून थाने की चैखट पर
आकर दम तोड़ देते हैं। लापता बच्चों को लेकर पुलिस लाइन में हर माह समीक्षा बैठक भी
की जाती है। सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि लापता बच्चों की 24 घंटे के अंदर अपहरण में मुकद्मा दर्ज किया जाए लेकिन थाना
जगदीशपुरा अंतर्गत खतैना निवासी चीकू अपने 12 वर्षीय बेटे की गुमशुदगी दर्ज कराने के लिए दर-दर की ठोकरें
खाने के मजबूर था। उसे पुलिस हर बार थाने से भगा देती है। पुलिस ने उसके बेटे
की गुमशुदगी दर्ज नहीं की।
थाना जगदीशपुरा अंतर्गत 48/236 खतैना, बुद्ध विहार
निवासी चीकू रिक्शा चलाकर परिवार का पालन पोषण करता है। दिनांक 14 मई 2014 को करीब सुबह 11 बजे जब चीपूं रिक्शा चलाने गया था, उनकी पत्नी घर का काम कर रही थी। बिहारी घर के बाहर खेल रहा
था। वह खेलते-खेलते वह लापता हो गया। चीपू की पत्नी मीना ने पूरे मोहल्ले में खोजा
लेकिन वह नहीं मिला। परिजनों ने बिहारी खूब खोजबीन की लेकिन वह नहीं मिला।
रिश्तेदारियों में भी सभी जगह उसकी तलाश की गई लेकिन वहां भी उसका कोई पता नहीं
मिला। जिस दिन बिहारी लापता हुआ था उस दिन उसने मेंहदी कलर की टी-शर्ट, चैक का नेकर तथा लाल रंग की हवाई चप्पल पहनी थीं। उसका
सांवला रंग है। जब कहीं उसका सुराग नहीं लगा तो दिनांक 19 मई 2014 को बिहारी की
गुमशुदगी दर्ज कराने हेतु थाना जगदीशपुरा गया पुलिस को तहरीर दी। पुलिस ने तहरीर
ले ली लेकिन उस पर थाने की मुहर नहीं लगाई। इसके बाद भी चीकू ने कई बार थाने में
तहरीर दी लेकिन पुलिस ने उसके बेटे की रिपोर्ट दर्ज नहीं की। उसे हर बार पुलिस ने
भगा दिया। बेटे के गम में
मां मीना अपना मानसिक संतुलन खो बैठी है।
विगत कुछ दिन
पूर्व कोलकाता से थाना जगदीशपुरा पुलिस के पास फोन आया कि राजेश हावड़ा में है
लेकिन पुलिस पूरी तरह से समझ नहीं पाई। पुलिस तथा बालक के परिजनों ने नरेश पारस से
संपर्क किया। नरेश पारस ने हावड़ा में अधिक जानकारी जुटाई तो पता चला कि डेढ़ वर्ष
पूर्व राजेश हावड़ा रेलवे स्टेशन पर लावारिस अवस्था में घूमते हुए मिला था। जिसे
बाद में एक गैर सरकारी संस्था इटइनदा कम्युनिटी डेवलपमेंट सोसाइटी चिल्ड्रन होम
में निरूद्ध कर दिया गया। पहले तो राजेश अपना पता नहीं बता सका लेकिन करीब एक माह
पूर्व राजेश ने आगरा लोहामंडी खतैना अपना पता बताया। पुलिस ने राजेश के पिता से कह
दिया कि वह कोलकाता जाकर अपने बच्चे को ले आए लेकिन रिक्शा चालक चीकू के पास इतने
पैसे नहीं है कि वह अपने बच्चे को ला सके। जब राजेश के बारे में उसकी मां मीना ने
सुना तो वह व्याकुल हो उठी और अपने बेटे को बापस लाने की जिद करने लगी।
नरेश पारस ने
चिल्ड्रन होम के अधीक्षक एवं हावड़ा जिला बाल संरक्षण अधिकारी से संपर्क किया तो
उन्होंने कहा कि यदि आगरा बाल कल्याण समिति तथा आगरा के जिला बाल संरक्षण अधिकारी
पत्र भेजे तो बच्चे को आगरा भिजवाया जा सकता है। आगरा नरेश पारस ने बाल कल्याण
समिति तथा जिला बाल संरक्षण अधिकारी को पूरा मामला बताया। इस जिला बाल संरक्षण
अधिकारी आगरा ने हावड़ा के जिला बाल संरक्षण अधिकारी को पत्र भेज दिया। चिल्ड्रन
होम के अधीक्षक ने राजेश की बाल नरेश पारस से कराई। हावड़ा प्रशासन द्वारा राजेश
को आगरा भेजने की तैयारी की जा रही थी। तभी थाना जगदीशपुरा के बाल कल्याण अधिकारी
उपनिरीक्षक वेगराम सिंह का दिल पसीज गया और कहा कि पुलिस इस बच्चे को बापस लाने
में मदद करेगी। नरेश पारस द्वारा बताए गए पते पर थाना जगदीशपुरा पुलिस तथा सिपाही
शिवकरन सिंह बच्चे के चाचा
सुरेश को साथ लेकर हावड़ा पहुंची तथा राजेश को आगरा ले आई तथा लिखा पढ़ी के बाद 11.01.2016 को उसे परिजनों के सुपुर्द कर दिया। डेढ़ साल बाद लौटे बच्चे को देखने के लिए मोहल्ले
के लोगों का हुजूम जुट गया। राजेश ने बताया कि वह भटक गया था और कोलकाता पहुंच गया
था।
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