मुजफ्फरनगर की बच्चा मण्डी से मुक्त हुआ आकाश #NareshParas


          यूपी से लगातार गायब हो रहे बच्चे एक अनसुलझी पहेली बनकर रह गई है। हर जिले से रोजाना बच्चे गायब हो रहे हैं। बहुत से बच्चे गैंग के हाथ में पड़ जाते हैं। किसी तरह बचकर अपने घर बापस आ पाते हैं लेकिन पुलिस इन सब की जानकारी करना मुनासिव नहीं समझती है। आगरा से भी इसी तरह एक किशोर लापता हो गया था और उसे मुजफ्फरनगर में दो हजार में बेच दिया था। उसके साथ सात बच्चे और भी बेचे गये। चकमा देकर किसी तरह वह दिल्ली पहुंचा और नरेश पारस की मदद से अपने घर बापस आ सका। 


          आगरा के थाना शाहगंज के अर्जुन नगर निवासी योगेन्द्र लवानियां का 15 वर्षीय आकाश 10 वीं कक्षा का छात्र है। वह पढ़ने में थोड़ा कमजोर है। माता-पिता की अपेक्षाएं है कि वह पढ़ लिखकर एक अच्छा मुकाम हाशिल करे। लेकिन आकाश को पढ़ने से डर लगने लगा था। सिर पर परीक्षाए आते देख उसने घर छोड़ने का मन बना लिया। वह 13 मार्च 2012 को घर से बिना बताये चला गया। वह आगरा कैंट रेलवे स्टेशन पहुचा। आगरा से वह सीधा नई दिल्ली रेलवे स्टेशन गया। नई दिल्ली में स्टेशन के पास वह दुकानों पर काम मांगने गया लेकिन उसे किसी ने काम पर नहीं रखा। तभी अचानक एक 17-18 वर्षीय एक किशोर ने उससे पूछा कि क्या काम कर लोगे तो उसने कहा कुछ भी। वह किशोर आकाश को सुल्तानपुरी स्थित एक बेकरी में ले गया और काम पर रखवा दिया। बेकरी में उससे जीतोड़ काम करवाया जाता लेकिन उसके बदले में उसे भरपेट खाना भी नहीं दिया जाता था। उसे अन्दर बेकरी में ही बन्द करके रखा जाने लगा। किसी तरह वह बेकरी से चकमा देकर भाग निकला। वहां से आकाश फिर नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पहुचा और फिर से वह काम मांगने लगा। स्टेशन पर ही उसे दो किशोर मिले उन्होने आकाश से कहो कि वे उसको 300 रू प्रतिदिन के हिसाब से काम दिलवा देगें। आकाश राजी हो गया उसे धौलपुर की कहकर ट्रैन में बिठा दिया।
 ट्रैन के अगले डिब्बे में तीन युवक और थे। उन पांचों लागों ने आकाश को नशीली चाय पिला दी। आकाश को जब होश आया तो उसने स्वंय को म मुजफ्फरनगर के रेलवे स्टेशन पर पाया। वहां आकाश के अलावा छः बच्चे और थे सभी की उम्र 15 वर्ष से कम थी। कई बच्चे तो 7-10 वर्ष के बीच के थे। वह पांचो युवक इन सभी बच्चों को मुजफ्फरनगर रेलवे स्टेशन से खेतों की ओर ले गये। स्टेशन से करीब एक डेढ़ घण्टे तक चलने के बाद दूर एक खेत में खड़े हो गये। वहां 5 मोटरसाईकिलों पर 10 व्यक्ति और आ गये। उन्होने बच्चों की मांग की। दो हजार रूपये प्रति बच्चा लेकर उन सभी बच्चों को बाईक सवारों के हवाले कर दिया। बाईक सवार उन बच्चों को बाईकों पर बैठाकर ले गये।

आकाश से कहा गया कि तुझे दूध की डेयरी पर काम करना है। लेकिन उसे ऐसी जगह ले जाकर रखा गया जहां केवल गाय-भैंसों का बाढ़ा था। वहां उससे गोबर उठवाया जाता तथा साफ-सफाई भी कराई जाती। वहां भी उसे भैंसों के साथ बंद करके रखा जाता। तीन दिन रहने के बाद आकाश फिर चकमा देकर भाग निकला लेकिन उसे पकड़ लिया गया और बापस लाकर बाढ़े में बंद कर दिया। उस बाढ़े के पास ही एक एअरफोर्स का कर्मचारी भी रहता था। उसे किसी तरह आकाश के कैद होने की भनक लग गई। उसने आकाश की मदद करने का भरोसा दिलाया। वह रात्रि में करीब 3ः30 बजे आकाश को छत की रास्ते से उतार लाया और बाईक पर बैठाकर उसे मुजफ्फरनगर रेलवे स्टेशन तक दिल्ली तक की टिकट देकर छोड़ गया।

आकाश के पास पैसे तो थे नहीं इसलिए आकाश अपने साथ जो घर से मोबाईल लाया था उसे वह पहले ही दिल्ली में बेच चुका था। उसके पास केवल सिम बची थी। आकाश दिल्ली बापस आकर गुरूद्वारे में रहने लगा था। दो दिन तक वह गुरूद्वारे में रहा। फिर वह लाजपत नगर मार्केट में एक टीवी रिपेयरिंग की दुकान पर काम करने लगा। टीवी की दुकान पर काम करने वाले एक अन्य लड़के के मोबाईल में अपनी सिम डाल दी और कहा कि मेरा कोई फोन आये तो बता देना। कुछ ही समय उसका मोबाईल ऑन हो सका था इसी दरम्यान आगरा में नरेश पारस आकाश को तलाशने में जुटे थे और लगातार उस नंबर पर संपर्क कर रहे थे जैसे ही आकाश का मोबाइल चालू हुआ नरेश पारस का फोन आगया लेकिन मोबाईल बंद हो गया। उन्होंने आगरा पुलिस से मोबाईल की लोकेशन की जानकारी ली तो पुलिस ने बताया कि दिल्ली के लालकिला चांदनी चौक के पास की लोकेशन मिल रही है वहां जाकर तलाश लो।

नरेश पारस ने दिल्ली पुलिस से संपर्क किया और आकाश की मां सुषमा शर्मा तथा उनकी बड़ी पुत्री पूजा आकाश को दिल्ली भेज दिया.दिल्ली पुलिस की मदद से आकाश को ढूंढ लिया गया.पुलिस ने नरेश पारस को पूरी जानकारी दी.पुलिस ने आकाश को उसकी माँ के सुपुर्द कर दिया.आकाश के बापस लौटने की जानकारी नरेश पारस ने गुमशुदा प्रकोष्ठ व थाना शाहगंज पुलिस को दे दी। घर लौटकर आकाश की माँ ने नरेश पारस का आभार जताया.

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