झारखंड की युवती से आगरा में कराई जा रही थी बंधुआ मजदूरी, कोठी से कराई मुक्त #NareshParas




बिहार, झारखंड, उड़ीसा, पश्चिमी बंगाल आदि पिछडे़ राज्यों की लड़कियों को ऐजेंटो के माध्यम से दिल्ली की प्लेसमेंट ऐजेंसियों को बेचा जा रहा है। प्लेसमेंट ऐजेंसी के माध्यम से देश के महानगरों में इन लड़कियों को बेचा जाता है। कुछ ऐसे ही एक मामले का आगरा में खुलासा हुआ। करीब दस वर्ष पूर्व झारखंड की एक नाबालिब बच्ची को एक महिला ऐजेंट ने झारखंड से दिल्ली ले जाकर बेच दिया। दिल्ली से उसे आगरा के जयपुर हाउस की कोठी नंबर 200 में बेच दिया। मकान मालिक उसे बंधुआ मजदूर बनाकर रखने लगा। बाल कल्याण समिति आगरा, एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट, स्थानीय पुलिस और क्यूआईसीएसी की संयुक्त टीम ने 2 मई 2016 को कोठी से मुक्त करा लिया।




झारखंड बाल कल्याण समिति ने अपने केस वर्कर धीरेन्द्र यादव, महेश लोहरा और उसके ताऊ चिठ्ठी लेकर भेजा जिसमें लिखा था कि आठ साल पूर्व एक महिला ऐजेंट करमी देवी झारखंड के गुमला जिला के पालकोट निवासी नाबालिग मान्ती को बहला फुसलाकर घर से बिना बताए दिल्ली ले गई जहां उसे दुर्गा प्लेसमेंट ऐजेंसी को बेच दिया। दुर्गा प्लेसमेंट ऐजेंसी से रामप्रसाद नामक एक दलाल उसे आगरा ले आया और आगरा के जयपुर हाउस की कोठी नंबर 200 में घरेलू काम के लिए बेच दिया। इस युवती को मुक्त कराने का अनुरोध झारखंड बाल कल्याण समिति ने आगरा बाल कल्याण समिति से अनुरोध किया। बाल कल्याण समिति ने मामला एसपी क्राइम आगरा के समक्ष रखा। उक्त युवती को मुक्त कराने के लिए एसपी क्राईम के आदेश पर एक टीम ने जयपुर हाउस आगरा की कोठी नंबर 200 में छापा डालकर युवती को बरामद किया। टीम में एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट के गुरू प्रसाद और उनकी टीम, बाल कल्याण समिति के आनंद कुमार, डीडी मथुरयि, थाना लोहामंडी की पुलिस और नरेश पारस शामिल रहे। 


कोठी से बरामद युवती ने बताया कि उसे कोठी में रखा जा रहा था। केवल खाना और कपड़े दिए जाते थे। उसे नकद राशि कोई भी नहीं दी। कोठी के मालिक वेदपाल धर ने टीम को बताया कि आठ साल पूर्व राम प्रसाद नामक आदमी लड़की को दे गया था उसके बदले में वह पैसे भी ले लगा था। मालिक ने पैसों की राशि  नहीं बताई। उन्होंने बताया कि जयपुर हाउस की अन्य कोठियों में भी कई लड़कियां रहती हैं। लड़की के भाई महेश लोहरा ने बताया कि जब बिना बताए यह महिला ऐजेंट मालती को ले गई तो मान्ती की काफी खोजबीन की लेकिन वह नहीं मिली। कुछ दिन बाल महिला ऐजेंट दुबारा मोहल्ले में दिखाई दे गई। महिला ऐजेंट से सघन पूछताछ की तो उसने दिल्ली के पंजाबी बाग स्थित दुर्गा प्लेसमेंट ऐजेंसी का पता दिया। तीन साल पहले वर्ष 2012 में प्लेसमेंट ऐजेंसी द्वारा बताए गए पते पर वह आगरा आए। इस लड़की से मिले लेकिन मालिक ने लड़की देने से इंकार कर दिया और इन्हें भगा दिया। 




झारखंड लौटने के बाद महेश ने बाल कल्याण समिति झारखंड से संपर्क किया जिसने आगरा बाल कल्याण समिति को पत्र जारी किया साथ ही केस वर्कर को भी उनके साथ भेजा। लड़की के माता-पिता की मौत बचपन में ही हो चुकी है। उसके मामा और ताऊ उसे पालते थे। वह तीन भाई बहन थे। सबसे बड़ी बहन की शादी कर दी है। मालती के भाई ने कहा कि वह अपनी बहन को ले जाना चाहता है। मुक्त कराई गई मालती को लड़की का मेडिकल और काउंसलिंग कराई गई। काउंसलिंग में मान्ती ने बताया कि वह अपने भाई के साथ घर जाना चाहती है। क्यूआईसीएसी ने किशोरी को बंधुआ मजदूरी प्रमाण पत्र दिलाने के लिए श्रम विभाग एवं एसडीएम सदर से संपर्क किया। एसडीएम सदर के बाहर होने के कारण। सिटी मजिस्ट्रेट रेखा एस चौहान द्वारा किशोरी को बंधुआ मजदूरी प्रमाण पत्र दिया गया। एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट और पुलिस अभिरक्षा में बाल कल्याण समिति के आदेश पर मान्ती और उसके भाई को झारखंड सुरक्षित भेजा गया। 



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