मुंबई से लापता बच्चे को परिवार से मिलाया #NareshParas





30 नवम्बर 2016 को आगरा कैंट पर रेलवे पुलिस को एक दस वर्षीय बालक मिला। पुलिस ने उसे बाल गृह रखवा दिया गया। पुलिस भी उसे भेजकर भूल गई। दो जनवरी 2017 को नरेश पारस बाल गृह गए। इस बच्चे के संबंध में बात की तो बच्चा अपना नाम करन मंडल तथा पता आगरा कैंट बता रहा था। बाल गृह के कर्मचारी के साथ बालक को आगरा कैंट भेजा गया लेकिन उसके घर का कोई पता नहीं चला। अंत में बच्चे से दुबारा पूछताछ की गई तो बालक ने एक मोबाइल नंबर बताया और उसने बताया कि वह मुंबई के केन्द्रीय विद्यालय में कक्षा 6 में पढ़ता है। उसके पिता का नाम श्याम सुंदर मंडल है। उसे एक अंकल बहला फुसलाकर ले आए थे। वह फरीदाबाद ट्रेन में छोड़कर भाग गए। अंकल कह रहे थे कि वह आगरा कैंट पर उतरेंगे और ताजमहल घुमाएंगे लेकिन वह आगरा कैंट नहीं उतरे दिल्ली ले जा रहे थे। इसलिए बच्चे को आगरा कैंट याद रहा। फरीदाबाद रेवले स्टेशन पर एक व्यक्ति को बताया तो उसने पुलिस तो उसने पुलिस को सूचित कर दिया। रेलवे पुलिस ने करन को आगरा भेज दिया। 

करन के बताए नंबर पर संपर्क किया तो उधर से श्याम मंडल ने बताया कि वह करन का पिता श्याम सुंदर मंडल है। उसने कहा कि वह आगरा आकर बाल गृह से करन को ले जाएगा। पांच जनवरी 2017 को श्याम सुंदर मंडल अपने पिता योगेन्द्र मंडल के साथ आगरा राजकीय बाल गृह आया। नरेश पारस ने श्याम सुंदर मंडल से बातचीत की तो श्याम ने बताया कि 30 नवम्बर को करन घर से लापता हो गया था। जिसकी रिपोर्ट मुंबई के कफरेट थाना में रिपोर्ट दर्ज कराई। अखबारों में विज्ञापन और पेम्पलेट भी छपवाए लेकिन करन का कहीं कोई पता नहीं चला। वह मूल रूप से समस्तीपुर बिहार का रहने वाला है। वह मुंबई में एक निजी कार ड्राइवर है। उसके तीन बच्चे हैं। करन दूसरे नंबर का है। श्यामसुंदर ने बताया कि अखबारों में न्यूज देखकर कुछ दिन पूर्व एक व्यक्ति ने फोन करके एक करोड़ फिरोती मांगी थी। वह मुंबई पुलिस के सहयोग से नोयडा आया और यूपी पुलिस का सहयोग लिया। नोयडा के सेक्टर 73 के अजंता अपार्टमेंट में उसे बीस लाख रूपये के साथ बदमाशों ने बुलाया। वह पुलिस के साथ वहां पहुंचा तो बदमाश तो मिल गए लेकिन करन नहीं मिला। पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया और जेल भेज दिया। बदमाशों ने पुलिस को बताया कि नव भारत टाइम्स में बच्चे की फोटो देखकर उन्होंने श्यामसुंदर के मोबाइल पर फोन किया। वह लड़के के माध्यम श्याम सुंदर से रूपये एेंठना चाहते थे। श्याम सुंदर पहले बच्चे फंस चुका था इसलिए उसने आगरा से गए फोन पर ज्यादा विश्वास नहीं किया। लेकिन आगरा आकर अपने बच्चे से मिलकर वह बहुत खुश हुआ। छुट्टी का दिन होने के कारण बाल कल्याण समिति ने बच्चा सुपुर्द करने से इंकार कर दिया लेकिन नरेश पारस के प्रयासों से बाल कल्याण समिति ने करन को उसके पिता और दादा के सुपुर्द कर दिया। करने अपने परिवार को दुबारा पाकर बहुत खुश हुआ। 


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