रिश्वत के इलाज को RTI की पाठशाला #NareshParas




रिश्वत के इलाज को लगाई आरटीआई की पाठशाला सरकारी विभागों में कोई भी काम बिना रिश्वत के नहीं होता है। सरकारी कर्मचारी एक आम आदमी के साथ अंग्रजी शासकों जैसा व्यवहार करते हैं। सरकारी कार्यों में पारदर्शिता लाने के लिए दस वर्ष पूर्व 2005 में सूचना का अधिकार कानून (आरटीआई) लागू किया था लेकिन जागरूकता के अभाव में दस फीसदी लोग भी इस कानून का उपयोग नहीं कर पा रहे हैं। इसी रिश्वत के इलाज के लिए और आरटीआई की जानकारी आम जनता को देने के लिए नरेश पारस द्वाराआगरा के संजय प्लेस स्थित शहीद स्मारक, सेन्ट्रल पार्क, आवास-विकास तथा फिरोजाबाद में  आरटीआई की पाठशाला लगाई, जिसमें आरटीआई के उपयोग की जानकारियां दी गईं। आरटीआई की पाठशाला में लोगों ने उत्सुकता जताई कि उनका सरकारी कार्यों में रूका भी काम हो जाए। उनकी खराब सड़क ठीक हो जाए एवं नाली की सफाई समय से हो। बिना रिश्वत दिए आपका राशन कार्ड, पासपोर्ट, लाइसेंस, निवास प्रमाण पत्र आदि कार्य हो जाए। उनकी रूकी हुई पेंशन मिल जाए तथा भविष्य निधि का पैसा बिना परेशानी के उन्हें मिल जाए। पाठशाला में हर आदमी जानना चाहता था कि उनका काम न करने के लिए जिम्मेदार कौन है उनके गांव/मोहल्ले/शहर के विकास के लिए कितना पैसा किस मद में आया और कहां खर्च किया गया। उनके मोहल्ले में अन्त्योदय, अन्नपूर्णा या गरीबी रेखा, के नीचे राशन कार्ड किसे दिए गए और किसको विधवा, विकलांग, समाजवादी या विकलांग पेंशन मिलती है। उनके गांव के प्राईमरी स्कूल में कुल कितने बच्चे हैं। स्कूल के विकास के लिए कुल कितना धन आया। सभी बच्चों को मिड-डे मील, छात्रवृत्ति, ड्रेस या पुस्तके मिली यां नहीं। उनके पार्षद, प्रधान, विधायक, सांसद, जिला पंचायत, क्षेत्र पंचायत, नगर पालिका की निधियों का व्यय किस-किस कार्य में किया गया। यह सब जानना चाहते थे लेकिन उन्हें आरटीआई की जानकारी नहीं थी। वह समझ नहीं पा रहे थे कि आरटीआई कहां और कैसे डालनी है। नरेश पारस नेपाठशाला में बताया कि आरटीआई का कोई निर्धारित प्रारूप नहीं है। सूचना अधिकार का उपयोग कर वह सरकार और किसी भी सरकारी विभाग की सूचना मांग सकते हैं। इस कानून से आप सरकार के किसी भी दस्तावेज की जांच कर सकते हैं। उसकी प्रमाणित प्रतियां ले सकते हैं। सरकारी कामकाज में इस्तेमाल सामग्री का नमूना ले सकते हैं।















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