खून के आभाव में अस्पताल से भगाए कुपोषित बच्चे का कराया इलाज #NareshParas





जिला अस्पताल में बच्चे को गोद लेकर बैठी माँ गायत्री 

          कुपोषण को लेकर सरकारें बहुत गंभीर हैं.सभी का एक ही उद्देश्य है कि कुपोषण से बच्चों की मौत नहीं होनी चाहिए लेकिन निचले स्तर पर अभी भी इसका पालन नहीं किया जा रहा है.कुपोषित बच्चों को अछूत मानकर छोड़ दिया जाता है.जबकि कुपोषित बच्चों को पोषित करने के लिए हर जिले में पोषण और पुनर्वास केंद्र खोले गए हैं.जहाँ बच्चों की देखभाल की जाती है और तीमारदार को 50 रुपये रोज दिए जाते हैं. लेकिन असल में डॉक्टर भी इलाज करने से कतराते हैं.ऐसा ही एक मामला उत्तर प्रदेश के आगरा में आया.एक कुपोषित बच्चे को आगरा के जिला अस्पताल में लाया गया जिसमे खून बहुत कम था उसे खून भी चढ़ाना था इसलिए डाक्टरों ने कहा कि पहले खून का इंतजाम करो फिर भर्ती करेंगे.बच्चे की माँ यह सब नहीं कर सकती थी इसलिए उसके बच्चे को अस्पताल से निकाल दिया.नरेश पारस ने बच्चे के लिए खून का इंतजाम कराया और उसे अस्पताल में भर्ती कराया.तब जाकर बच्चा स्वस्थ हुआ.
दैनिक जागरण, आगरा 18-6-17 

टाइम्स ऑफ़ इंडिया 18 जून 17 

        दिनांक 17 जून 17 शनिवार की सुबह आगरा के बिचपुरी पीएचसी से डाक्टर चार साल के अतिकुपोषित बच्चे सुमित पुत्र मुकेश को उसकी माँ के साथ लेकर आगरा जिला अस्पताल के पोषण पुनर्वास केन्द्र पहुंचे। केन्द्र की प्रभारी ने बच्चे को भर्ती करने से इंकार कर दिया। उन्होंने कहा कि बच्चे में 4.6 खून है। पहले खून का इंतजाम करो उसके बाद बच्चे को भर्ती किया जाएगा। पीएचसी डाक्टरों के पास खून की व्यवस्था नहीं थी। उन्होने नरेश पारस से बच्चे के लिए खून उपलब्ध कराने का अनुरोध किया। बच्चे की मां इलाहाबाद की रहने वाली है जो आगरा में मजदूरी करती है। डाक्टरों ने महिला से बापस घर जाने के लिए कह दिया था.महिला के पास इतने पैसे भी न थे कि वह किराए से घर जा सके।
हिंदुस्तान आगरा, 18 जून 17 


       नरेश पारस अपने साथ एक व्यक्ति को लेकर पहुंचे जिसने 14 जून को जिला अस्पताल की ब्लड बैंक में खून दान दिया था। ब्लड बैंक के प्रभारी नरेन्द्र मोहन शर्मा ने ब्लड देने से इंकार कर दिया कहा हम सभी को ब्लड नहीं देते हैं। पचास रक्तदाताओं में से केवल पांच या सात को ही खून दे पाते हैं। इसलिए हम बच्चे को खून नहीं दे पाएंगे। नरेश पारस ने अपने साथी दयालबाग के बीटेक के छात्र विवेक और ब्लड कनेक्ट की तनु शर्मा को लेकर गए। विवेक ने रक्तदान किया जिसके बदले बच्चे को खून मिल सका। ब्लड देने के बाद ब्लड बैंक वालों के नरेश पारस से कहा कि रक्तदाता के लिए बाजार से जूस ले आओ। जबकि हर ब्लड बैंक रक्तदाता को अपने पास से जूस और बिस्किट देती है। इस पर प्रभारी ने बताया हमारे यहां ऐसी व्यवस्था नहीं है। 
जिला अस्पताल खून की व्यवस्था करते हुए.



खैर नरेश पारस ने बच्चे को भर्ती करा दिया उसका इलाज होने लगा.उचित देखभाल से 31 जुलाई 17 को पूर्ण स्वस्थ हालत में बच्चे की छुट्टी कर दी.अब बच्चा पूरी तरह स्वस्थ है.

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