बिछड़े बेटे के रूप में मिला मां-बाप को होली का उपहार, बिखरे खुशियों के रंग #NareshParas

बिहार जमुई से आकर 10 दिन से पुत्र की तलाश में भटकते रामचंद्र और कुसुमा देवी की आंखें रविवार को खुशी से छलक उठीं। सात वर्षीय शिवा ने माता-पिता को सामने देखा तो दौड़ कर उनसे लिपट गया। रोने लगा, मां कुसुमा ने उसे शांत कराया। पुत्र को लेकर मन में उठती तमाम आशंकाओं पर विराम लग चुका था। बेरंग उम्मीदें होली पर खुशियों के रंग में भर चुकी थीं।
कागारौल इलाके में 20 फरवरी 2023 को सात वर्षीय बालक शिवा भटकता हुआ मिला था। उसे रोता देख ग्रामीणों ने पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने बालक को बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत किया। उसने बालक को राजकीय बाल गृह में आवासित करा दिया। काउंसलिंग में शिवा ने अपने गांव का नाम चरका पत्थर और बिहार बताया था। उसे जिले का नाम पता नहीं था। ऐसे में बच्चे का पता ढूंढ रहा बहुत मुश्किल था। चाइल्ड राइट्स एक्टिविस्ट नरेश पारस ने बालक से बातचीत की। जिसके बाद झारखंड की संस्था कालेश्वर मंडल से संपर्क किया। उनकी मदद से बच्चे का पता और उसके स्वजन को खोज निकाला। रामचंद्र ने बताया कि वह मजदूरी करते हैं। पत्नी कुसुमा देवी बीड़ी बनाने काम करती हैं। गांव में रहने वाले रिश्तेदार अछनेरा में हलवाई का काम करते हैं। पिछले महीने पुत्र जिद करके उनके साथ घूमने आ गया था। वह गांव से निकलने के बाद रास्ता भटक गया था। परिचित ने उसकी गुमशुदगी अछनेरा थाने में दर्ज करा दी। परिजन जैसे ही बाल गृह में बच्चे के सामने पहुंचे तो बच्चा दौड़ कर मां से लिपटकर रोने लगा। कहने लगा मां मुझे ले चलो। यह देखकर पिता की आंखों से भी आंसू बह निकले। बाल गृह में मौजूद सभी लोगों की आंखें नम हो गई। शिवा को पाने पर माता-पिता का कहना था कि यह होली यादगार रहेगी। बालक को बाल कल्याण समिति ने लिखा पढ़ी करके उसके माता-पिता के सुपुर्द कर दिया गया। बिछड़ा हुआ बच्चा पाकर मां-बाप बहुत खुश थे। उनका कहना था कि बच्चा उन्हें होली के त्यौहार पर उपहार के रूप में मिला है। यह होली यादगार बन गई। परिजन नरेश पारस को बार-बार धन्यवाद दे रहे थे। इस दौरान बाल कल्याण समिति के सदस्य निमेष बेताल सिंह, अर्चना उपाध्याय, बालगृह के अधीक्षक ऋृषि कुमार मौजूद रहे।








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